Wednesday, December 7, 2016

जनता की राय में PM मोदी थे सबसे आगे....

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप टाइम्स के पर्सन ऑफ द इयर बने,

जनता की राय में PM मोदी थे सबसे आगे
हैदराबादः CBI ने 11 जगहों पर छापे मारकर करीब 17 लाख रुपए के नए नोट (2000 के नोट) जब्त किए, 4 लोग गिरफ्तार। जांच जारी है।

पाकिस्‍तानी एयरलाइंंस की फ्लाइट पीके-661 एबटाबाद के पास क्रैश, 47 यात्री थे सवार।PIA के दुर्घटनाग्रस्त विमान में सिंगर जुनैद जमशेद भी थे सवार।

बैंक और ATM की कतार में मरने वालों के परिजन को दो-दो लाख देगी अखिलेश सरकार

गंगा ऐक्शन प्लान के ऊपर NGT ने यूपी जल निगम को लताड़ा, कहा 1975 से लेकर अभी तक कोई काम नहीं किया।

दिल्ली-  सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को दी इजाज़त, मुंबई और चेन्नई टेस्ट के लिए  कुल 1 करोड़ 33 लाख रुपये खर्च करने की दी इजाज़त

इलाहाबाद HC ने पीएम मोदी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की। कांग्रेस विधायक अजय राय ने दी थी याचिका।

आर्थिक मामलों के सचिव का बयान - 500 के ज्यादा नोट बाजार में आएंगे, 3 से 4 हफ्ते में ज्यादा नोट आएंगे।

'LG नजीब जंग ने उप राष्ट्रपति बनने के लिए मोदी को बेची अपनी आत्मा:केजरीवाल
[12/7, 19:29] ‪+91 98964 16996‬: ब्रिटिश पत्रिका टाइम ने साल 2016 के लिए टाइम पर्सन ऑफ द ईयर अमेरिका के राष्‍ट्रपति बनने जा रहे डोनाल्‍ड ट्रंप को चुना है। नरेंद्र मोदी ऑनलाइन पोल में आगे थे, पर अंतत: पीछे रहे। मैगजीन ने यह खिताब देने का सिलसिला 1927 से शुरू किया और अब तक की सूची में भारत से केवल एक ही नाम शामिल है। वह नाम है मोहनदास करमचंद गांधी। वह 1930 में टाइम पर्सन ऑफ द ईयर घोषित किए गए थे। उन्‍हें नमक आंदोलन और दांडी मार्च के लिए चुना गया था। बता दें कि टाइम मैग्‍जीन उस वर्ष दुनिया को सबसे ज्‍यादा प्रभावित करने वाली शख्‍सीयत को पर्सन ऑफ द ईयर चुनता है। चाहे उसने नकारात्‍मक रूप से ही दुनिया पर अपना असर क्‍यों न छोड़ा हो। यही वजह है कि 1930 में अगर शांति और अहिंसा के पुजारी महात्‍मा गांधी को चुना गया तो 1938 में अडॉल्‍फ हिटलर को इस खिताब से नवाजा गया। इस लिहाज से देखा जाए तो नरेंद्र मोदी को चुना जाना वैसे ही संभावित नहीं था। टाइम पर्सन ऑफ द ईयर के लिए अब तक चुने गए लोगों की फेहरिस्‍त देखें तो वैश्विक स्‍तर पर प्रभुत्‍व जमाने वालों का ही दबदबा रहा है।

1927 में टाइम पत्रिका ने यह चलन शुरू किया था। तब इस खिताब का नाम ‘मैन ऑफ द ईयर’ हुआ करता था। उस वक्‍त कई लोगों को यह खिताब दिए जाने पर विवाद हुआ, मसलन हिटलर के बाद, 1939 और 1942 में जोसेफ स्‍टालिन, 1957 में निकिता खुर्चेस्‍कोव और अयातुल्‍लाह खोमेनी को 1979 में इस खिताब से नवाजे पर खासा विवाद हुआ था। हालांकि मैगजीन ने सफाई दी कि इन शख्सियतों ने विश्‍व पर जो प्रभाव छोड़ा, उसकी वजह से उन्‍हें खिताब दिया गया।

इंटरनेट के आने के बाद से टाइम मैगजीन हर साल अपने पाठकों के बीच सर्वे कराती है, जिसमें लोग अपने पर्सन ऑफ द ईयर का चुनाव करते हैं। ज्‍यादातर लोग इस सर्वे के विजेता को ही पर्सन ऑफ द ईयर मान लेते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। पर्सन ऑफ द ईयर का चुनाव टाइम पत्रिका के संपादकों द्वारा किया जाता है।

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